डाक्टरों का राजनीति और अव्यवस्था से परेशान होकर नौकरी छोड़ने का सिलसिला जारी

लखनऊ। केजीएमयू में यूं ही मरीजों की भारी भीड़ है और डाक्टरों की कमी मरीजों की परेशानी और बढ़ा रही है। संस्थान की भीतरी राजनीति और अव्यवस्था से बेहाल डाक्टरों का नौकरी छोड़ने का सिलसिला जारी है। ताजा मामला न्यूरो सर्जरी का है जहां के डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ने इस्तीफा दे दिया है। केजीएमयू प्रशासन इस प्रकार सीनियर डाक्टरों को नौकरी छोड़ने से रोक नहीं पा रहा है।
डाक्टरों के केजीएमयू छोड़ देने से सबसे ज्यादा दिक्कत उन मरीजों को हो रही है जो डाक्टर के नाम पर इलाज के लिए आते हैं।
डाक्टर के संस्थान छोड़ने से रोकने में नाकाम प्रशासनिक अफसर तर्क दे रहे हैं कि डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए भर्तियां की जा रही है मगर सीनियर डाक्टर के स्थान पर नये डाक्टर पर मरीजों का विश्वास होना काफी कठिन है। बताया जा रहा है कि डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव के जाने के बाद कई अन्य डाक्टर भी इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। पिछले दिनों संस्थान के 17 डॉक्टरों को सशर्त प्रमोशन दिया गया था। जबकि आधा दर्जन से ज्यादा डॉक्टरों के विरूद्ध अलग-अलग मामलों में जांच शुरू हुई है। नौकरी छोड़ने के पीछे डॉक्टरों के पास कई तर्क हैं जिसमें काम का दबाव, पुरानी पेंशन न मिलना। सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर का वेतन नॉन क्लीनिक डॉक्टरों के बराबर। जबकि कारपोरेट हॉस्पिटल सुपर स्पेशलिस्ट को भारी वेतन देकर अपने यहां बुला रहे हैं।
यह भी पढ़ें : – हृदय कैंसर : एक दुर्लभ गंभीर रोग इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
कारपोरेट में बेहतर सैलरी पैकेज
केजीएमयू की तुलना में राजधानी के कारपोरेट अस्पताल विशेषज्ञों को बेहतर सैलरी पैकेज दे रहे हैं। सरकारी संस्थानों से नौकरी छोड़कर गए डाक्टर तीन से चार गुना अधिक सैलरी पर कॉरपोरेट अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह भी एक वजह है कि पिछले दो तीन सालों में 30 से ज्यादा डॉक्टरों ने सरकारी नौकरी छोड़ दी। संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टर कारपोरेट हॉस्पिटल की पहली पसंद हैं। नतीजा 20 से ज्यादा सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर रिटायरमेंट से पहले नौकरी छोड़ी और कारपोरेट हॉस्पिटल चले गए।
लोहिया संस्थान से भी गए डाक्टर
केजीएमयू ही नहीं राम मनोहर लोहिया संस्थान के डाक्टरों ने कारपोरेट अस्पताल का रास्ता लिया है। इसमें मेडिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव गुप्ता, गेस्ट्रो मेडिसिन विभाग के डॉ. प्रशांत वर्मा, इंडोक्राइन सर्जरी डॉ. रोमा प्रधान, न्यूक्लीयर मेडिसिन डॉ. शाश्वत वर्मा व डॉ. धनंजय सिंह समेत कई डॉक्टरों ने संस्थान की नौकरी छोड़ी है। यही वजह है कि आज आधा दर्जन से ज्यादा विभाग संविदा डॉक्टरों के भरोसे हैं।