नो स्मोकिंग डे : धूम्रपान से हर साल जाती है 35 लाख लोगों की जान

लखनऊ। मार्च के दूसरे बुधवार को मनाये जाने वाले नो स्मोकिंग डे की इस साल की थीम है अपना जीवन वापस पाएं है। इस अवसर पर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सूर्यकांत ने बताया कि देश में हर साल तम्बाकू सेवन से करीब 35 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। धूम्रपान छोड़ने से व्यक्ति 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बच सकता है।
डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप और सांस संबंधी अन्य समस्याएं शामिल हैं। तम्बाकू में मौजूद निकोटिन नशे की लत पैदा करने वाला रसायन है, जो मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ा देता है। यही कारण है कि एक बार धूम्रपान शुरू करने के बाद व्यक्ति उसे छोड़ नहीं पाता। धूम्रपान केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उनके आसपास के लोगों को भी प्रभावित करता है। इसे पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है।
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पैसिव स्मोकिंग के कारण नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी धूम्रपान छोड़ने में सहायक हो सकता है। नियमित व्यायाम करने से तनाव कम होता है और मस्तिष्क में एंडोर्फिन का स्तर बढ़ता है, जिससे व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा, संतुलित आहार लेना, अधिक पानी पीना और पर्याप्त नींद लेना भी इस प्रक्रिया में मददगार हो सकता है। धूम्रपान छोड़ने के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति उन परिस्थितियों और आदतों से बचें जो उन्हें धूम्रपान के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
धूम्रपान छोड़ना कठिन नहीं
डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि मजबूत इच्छाशक्ति से धूम्रपान को छोड़ा जा सकता है। इसके लिए निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी एक बेहतर विकल्प है। इसमें निकोटिन गम, पैच या लोजेंजेस का उपयोग किया जाता है, जो धूम्रपान छोड़ने की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं। इसके अलावा, बुप्रोपियन और वारिनिक्लिन जैसी दवाएं भी उपलब्ध हैं, जो निकोटिन की इच्छा को कम करने में मदद करती हैं।
इन दवाओं का प्रयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने के लिए मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी जरूरत होती है। कई बार लोग धूम्रपान छोड़ने के दौरान तनाव, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा जैसी समस्याओं का अनुभव करते हैं, इसलिए काउंसलिंग, परामर्श और सहायता समूहों का सहयोग लेना बेहद फायदेमंद हो सकता है।