नगर निगम : कार्यकारिणी समिति की बैठक में भाजपा के अधिकांश पार्षद नदारद

अब 18 मार्च को होगी कार्यकारिणी की बैठक
लखनऊ। महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी समिति की बैठक सोमवार को सुबह नौ बजे से राष्ट्रगान के बाद स्थागित हो गयी। सपा के साथ ही भाजपा के अधिकांश पार्षदों ने बैठकों का बहिष्कार किया और महापौर डेढ़ घंटे तक नगर निगम के राजकुमार हाल में मौजूद रहीं। कार्यकारिणी की बैठक का निर्णय अब 18 मार्च को लिया गया है। पार्षदों का कहना है कि कार्यकारिणी के कई सदस्य बैठक में इसलिए नहीं पहुंचे क्योंकि यह काला बजट है। जनता के हित का बजट नहीं है। वार्ड विकास निधि नहीं बढ़ाई जा रही। सफाई के बजट में अप्रत्याशित बजट बढ़ा दिया गया है। पार्षदों से कोई चर्चा नहीं की गई है। कोटा बढ़ाने की चर्चा नहीं। वहीं, कांग्रेस पार्षद ने कहा कि आंकड़ों में हेर फेर किया गया है। ये विकास विरोधी बजट है।
बैठक में शामिल न होने वाले पार्षदों ने नगर निगम और जलकल विभाग के बजट पर ब्रेक लगा दिया। इसका नये वित्तीय वर्ष से नगर निगम और जलकल विभाग के कार्यों के साथ ही शहर के विकास पर भी असर देखने को मिल सकता है। सपा का विरोध करना विपक्ष की भूमिका में शामिल होना बताया जा रहा है, लेकिन नगर निगम सदन में बहुमत में होने और भाजपा की ही महापौर होने के बाद भी भाजपा पार्षदों का बैठक में शामिल न होना तमाम सवाल खड़े कर रही है। हालांकि सपा ने विकास कार्यों में कटौती का मुद्दा उठाकर बैठक से दूरी बनाई तो भाजपा के अधिकांश पार्षद वार्ड विकास निधि न बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे थे। सपा पार्षद सुरेंद्र वाल्मीकि का कहना है कि विकास मदों में कटौती के कारण ही सपा ने बैठक से दूरी बनाए रखी। दरअसल साढ़े चार अरब की देनदारी झेल रहे नगर निगम प्रशासन ने वित्तीय स्थिति को देखते हुए ही वार्ड विकास निधि को बढ़ाने की बात कही थी। इस कारण जलकल विभाग के बजट पर भी चर्चा नहीं हो सकी।
2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए महापौर की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी समिति की बैठक सोमवार सुबह नौ बजे बुलाई गई थी। सोमवार सुबह नौ बजे महापौर सुषमा खर्कवाल, उपाध्यक्ष कार्यकारिणी समिति गिरीश गुप्ता, पार्षद रंजीत सिंह, नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह समेत अन्य अधिकारी सभागार में आ गए लेकिन भाजपा के छह और सपा के दो पार्षद बैठक में नहीं पहुंचे। काफी समय इंतजार करने के बाद 11 बजे महापौर ने बैठक को स्थगित करने की घोषणा की। बताते चले कि पार्षदों की मांग है कि सवा करोड़ की वार्ड विकास निधि को बढ़ाकर तीन करोड़ किया जाए, लेकिन मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं लग रहा था। दरअसल नगर निगम अगर मार्च तक भुगतान नहीं करता है तो ढाई अरब की देनदारी और बढ़ जाएगी। ऐसे में यह देनदारी सात अरब के आसपास पहुंच जाएगी। हालांकि बजट में किसी नये कर का प्रावधान नहीं किया जा रहा है और न ही किसी तरह के कर में वृद्धि की जाएगी।
यह भी पढ़ें : – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : कैंसर के रोकथाम के लिए जरूरी है बेहतर जीवनशैली : डॉ. विभोर महेंद्रु
हाउस टैक्स की दरें भी पूर्व के हिसाब से ही रहेगी। मार्ग और सड़क की मरम्मत व सुधार में होने वाले व्यय मद में पुनरीक्षित बजट 2024-25 में 240 करोड़ का प्रावधान किया गया था, जिसे मूल बजट 2025-26 में घटाकर 228 करोड़ कर दिया गया है। सड़कों के नये निर्माण के बजट में भी कटौती करते हुए 50 लाख रखा गया है, जबकि पुनरीक्षित बजट में 1.50 करोड़ का प्रावधान था। पार्कों की दीवार आदि के निर्माण व मरम्मत, रंगाई पुताई और अनुरक्षण पर दो करोड़ खर्च होगा, जबकि 2024-25 के पुनरीक्षित बजट में छह करोड़ का प्रावधान किया गया था। पूछे गये सवाल पर महापौर, सुषमा खर्कवाल ने कहा कि पार्षद बैठक में क्यों नहीं आए, यह वही बता सकते हैं। वार्ड विकास निधि को बढ़ाना प्रशासन का काम है और नगर निगम की वित्तीय स्थिति को देखते हुए निधि को बढ़ाया जाना संभव है।