आचार्य सत्येन्द्र दास के साकेतवास से संत समाज में छायी शोक की लहर

अयोध्या । श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास का साकेतवास होने से अयोध्या में शोक की लहर छा गयी। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास महाराज का साकेतवास आज माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन बुधवार प्रात: सात बजे के लगभग उन्होंने पीजीआई लखनऊ में अंतिम सांस ली। वे 1992 से रामलला की पूजा कर रहे थे।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सहित अयोध्या धाम के संत धर्माचार्यों ने उनके निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया और कहा कि पुजारी जी ने लगभग बत्तीस वर्ष सेवाकाल में अनेक उतार-चढ़ाव देखे। प्रशासनिक व्यवस्था में मंदिर के अर्चक होने के कारण भी सहयोगी बने रहे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने सत्येन्द्र दास के निधन पर कहा कि यह नश्वर संसार है। सभी को एक दिन मुक्त होना है। उन्होंने कहा कि धार्मिक जीवन मूल्यों के प्रति संवेदनशील सतपुरुष की मृत्यु नहीं होती। उसके द्वारा किये गये सत्कार्य उसे चिरकाल तक समाज के मस्तिष्क पर जीवंत रखते हैं।
उन्होंने कहा कि सत्येन्द्र दास जी संत परम्परा का सदैव ध्यान रखा। 1992 में श्रीरामलला के मुख्य अर्चक का दायित्व ग्रहण कर अपनी निष्ठा समर्पित करके उनका साकेत गमन हम सभी के लिये पीड़ादायी है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य एवं महंत दिनेन्द्र दास ने कहा सत्येन्द्र दास जी हमारे पड़ोसी रहे हैं। मंदिर की पूजन व्यवस्था के प्रति वह अपने कार्यकाल में सदैव संवेदनशील रहे।
उन्होंने कहा तीस या इकतिस वर्षों में वह हिन्दू, मुस्लिम समन्वय की चर्चा के केन्द्र ङ्क्षबदु बनते रहे। आज वह साकेतवासी हो गये जिसके कारण अपार दुख हुआ है। श्रीरामलला उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। विश्व हिन्दू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि आचार्य सत्येन्द्र दास के निधन से धार्मिक जगत को अपूर्णीय छति पहुंची है। उन्होंने 1990 के पूर्व मंदिर आंदोलन में सहयोगी रहे।
1992 में प्रशासन द्वारा मंदिर के मुख्य पुजारी नियुक्त होने के पश्चात वह मंदिर व्यवस्था के अंग बनकर सेवारत हो गये। उनके निधन से अपार दुख पहुंचा है। श्रीरामलला उन्हें सद्गति प्रदान करें।